कोरोनाकाल में ही 70 डायमंड कंपनियों ने अपना कारोबार सिमट कर सूरत आयी
सूरत डायमंड बुर्स का निर्माण कार्य पूरा होने पर वर्ष 2022 तक अधिकतर डायमंड कंपनी सूरत आएगी, तब हीरा उद्योग में रोजगार की नए अवसर पैदा होने के साथ-साथ रियल एस्टेट में भी डिमांड बढ़ेगी
सूरत। गुजरात का आर्थिक राजधानी बिकट परिस्थिति में भी खुद को खड़े रखने में विख्यात है, ऐसे में कोरोना के कारण आज भले देश ही नहीं विश्व में आर्थिक मंदी है, ऐसे में सूरत के विकास के लिए नए अवसर होने की बात जानकार बता रहे है। खास करके मुंबई से धीरे-धीरे सूरत शिफ्ट हो रहा हीरा उद्योग के कारण सूरत में रोजगार की नए अवसर खड़े होने के साथ ही इस शिफ्टींग रियल एस्टेट को भी लाभदायक होने की आशावाद व्यक्त किया जा रहा है। तैयार होनेवाले 10 में से 8 हीरे भले ही सूरत में तैयार होते हो लेकिन हीरे के एक्सपोर्ट से लेकर सभी कारोबार अभी तक मुंबई से होता है। सूरत में स्थित अधिकतर डायमंड कंपनियों की कॉर्पोरेट (मुख्य ऑफिस में नई बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स (हीराबूर्स) में है। यहां के बोरिवली, मलाड, गोरेगांव, दहिसर जैसे विस्तारों में डायमंड कंपनियों के यूनिट है। लेकिन अब समय बदला है। सूरत में अत्याधुनिक सूरत डायमंड बूर्स के निर्माण के साथ सूरत एयरपोर्ट को मिले आंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दर्जा के कारण अब डायमंड कंपनियां मुंबई से कारोबार सिमटकर सूरत स्थायी हो रही है। सूरत डायमंड बूर्स के निर्माण को पूरा होने में अभी दो वर्ष लगेगा लेकिन कोरोनाकल में पैदा हुए संजोग से डायमंड कंपनियों के स्थानांतर को दो वर्ष पहले ही शुरू किया गया है। कोरोनाकाल में अभी तक डायमंड उद्योग की कई नामांकित कंपनियां सहित 70 कंपनियां अपना कारोबार सिमटकर सूरत आ गई है और यह सिलसिला यथावत है। अभी 2022 तक 80 फिसदी डायमंड उद्योग मुंबई से शिफ्ट होकर सूरत आ जाएगे।
हाल में ही मुंबई से अपना कारोबार सिमटकर सूरत शिफ्ट होनेवाले हीरा उद्योगपति और HVK डायमंड के मालिक नागजीभाई साकरिया ने बताया कि 2022 तक मुंबई से 60 फिसदी जितना हीरा उद्योग सूरत आ जाएगा, ऐसे में उद्योग का स्थानांतर होगा। इसका लाभ सूरत में अन्य क्षेत्रों को भी होगा। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे तो मुंबई में हीरा उद्योग के साथ जुड़े लोग भी सूरत तरफ आएगे यानि रहने के लिए मकानों की डिमान्ड बढ़ेगी। इसका सीधा लाभ रियल एस्टेट बिजनेसमेन को होगा। क्योंकि स्थानांतर की शुरूआत हो गई है और लोग अभी से घर खोजने लगे है।
हीरा उद्योगपति नरेशभाई लूखी ने बताया कि केवल हीरा कंपनियों की ऑफिस ही नहीं बल्कि मुंबई के अलग-अलग विस्तार में स्थित यूनिट भी सूरत में स्थानांतरित होना शुरू हो गया है। कम समय में 70 डायमंड कंपनियां सूरत में स्थानांतरित हो गई है और दिवाली तक यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। ऐसे में इसका लाभ सूरत शहर को और खास करके रियल एस्टेट क्षेत्र को होगा। क्योंकि उद्योग के साथ कारीगर और अन्य स्टाफ भी माइग्रेट होने से उन्हें रहने के लिए घर की जरूरत पैदा होगी और मकानों की डिमान्ड निकलने से रियल एस्टेट को बुस्ट मिलेगा।
- मिनी सौराष्ट्र कहे जानेवाले वराछा - मोटा वराछा बन सकती है पहली पसंद:-
हीरा उद्योग के साथ जुड़े लोगों में सबसे बड़ी संख्या सौराष्ट्र के लोगों की है। मालिक से लेकर ऑफिस स्टाफ और कारीगर और हीरा दलाल अधिकतर सौराष्ट्र के है। फिर वह मुंबई हो या सूरत ऐसे में मुंबई से हीरा उद्योग को सूरत में स्थानांतर होने से स्थानांतरित होनेवाला स्टाफ और कारीगर रहने की पहली पसंद वराछा मोटा वराछा विस्तार बन सकता है। क्योंकि वहां रहनेवाले को सौराष्ट्र में रहते होने की अनुभूति होती है। बिल्डर्स द्वारा भी इस भावनात्मक बातों को ध्यान में रखकर वराछा और मोटा वराछा विस्तार में प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया है।
- मुंबई जैसा इफ्रास्टक्चर देने सूरत की रियल एस्टेट कंपनी भी तैयार:-
सूरत में साकारित हो रहे डायमंड बूर्स के कारण अधिकतर डायमंड कंपनी अब मुंबई से सूरत आ रहे है, ऐसे में मुंबई से कंपनियों के मालिक, ऑफिस स्टाफ और कारीगर भी सूरत आ रहे है। इसे देखते हुए उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए सूरत रियल एस्टेट कंपनी भी तैयार हुई है। उनके द्वारा मुंबई जैसे ही सभी सुविधा सहित प्रोजेक्टस का निर्माण शुरू किया गया है। वराछा विस्तार में कई प्रोजेक्ट्स साकार करनेवाले विक्टोरिया ग्रुप के जयंतीभाई मधुभाई गौदानी ने बताया कि हीरा बूर्स के कारण मुंबई से हीरा उद्योग का स्थानांतर शुरू हो गया है और फ्लेट्स तथा दुकानों की इन्कवायरी भी शुरू हो गई है। खास करके वराछा, मोटा वराछा- उत्राण और सरथाणा जकातनाका और योगीचौक विस्तार को पसंद कर रहे है। हमारा भी यही प्रयास है कि स्थानांतर होनेवाले लोगों को मुंबई में होनेवाली अनुभूति हो ऐसी सुविधा मिले। इसके लिए अब हाइ राइज एपार्टमेन्ट के साथ सभी प्रकार की कॉमन फेसिलिटी पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
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